आदि अधूरी बातें करता है वोह
बिन बताए अपनी खामोशी समझने की उम्मीद रखता है वोह
नादान है या चालक
समझदार है या बुजदिल
अपनी मुसीबतों से भाग रहा
या उन्हें और बढ़ा रहा
वोह ना जाने पर
अनकही बातें सुन ना हमने छोड़ दिया
महसूस करने और ज़ाहिर करने में अंतर जान लिया
ये दिल महसूस तो बहुत कुछ करता है
मगर ज़ाहिर वहीं करता है जो टूट कर चाहता है
तो हम अब बस किसी और कि खामोशी को अपने रंगो से नहीं भरते
किसी और के ख्वाबों को खुद से नहीं सजाते
ज़िंदगी बहुत खास है
एक ही बंधन में नहीं बनधती
रिश्तों की पेंचीदा कड़ियां सुलझाए नहीं सुलझ ती
खामोशियों का एक अलग सा ही खुमार है
जो लफ्जों में नहीं अदा किया जाता
और क्या करे इस दिल ने इतनी दफे धोका खाया
कि अब अधूरी बातें अधूरी ही बेहतर हमें लगती
कुछ शब्द अनकहे ही बेहतर रहे है
कुछ राज़ गढ़े ही ज़िंदा रहे है।
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