Wednesday, March 11, 2020

रंगमंच

हुआ नहीं पहले कभी
खुद से खुद अनजान हूं बनी
क्या मै चाहूं
ये भी ना जानू

ना समझ ना चातुर्य
बचपना अनोखा
छोटी सी भूल
या मूर्ख बड़ी उम्र

सच या झूट
प्यार या दोस्ती
गुजरता समय
या ज़िन्दगी है थम गई

क्या सही क्या ग़लत
क्या लाज़मी क्या अन्र्थ
दिल का खेल सभी
ये ज़िन्दगी ही एक रंगमंच बनी


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