Thursday, December 19, 2019

कैद


मेरे शब्द ही मुझे कैद कर जायेंगे
ऐसा कभी सोचा ना था

खुली उड़ान देते थे जो
कभी मेरे पंख भी कट्वायेंगे

निकले थे किसिका गम् बांटने
और खुद की झोली भर आए

मेरी खामोशियो और तन्हाइयो का
कतल कर गई ये लफ्जों की सौगातें

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